Friday, March 28, 2014

गाँव लौटे शहर से तो सादगी अच्छी लगी

गाँव लौटे शहर से तो सादगी अच्छी लगी

हमको मिट्टी के दिये की रौशनी अच्छी लगी

बांसी रोटी सेक कर जब नाश्ते में माँ ने दी

हर अमीरी से हमें ये मुफ़लिसी अच्छी लगी

दे न पाई बाल बच्चों को जो रोटी क्या हुआ

सुनने वालों को तो मेरी शायरी अच्छी लगी

हसन काज़मी

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