Friday, March 8, 2013

गुम न हो जाय साझी विरासत कहीं


गुम न हो जाय साझी विरासत कहीं

अपने बच्चों को किस्से सुनाया करो



भीग जाने का अपना अलग लुत्फ़ है
बारिशों में निकलकर नहाया करो



तुम जो रूठो तो कोई मनाये तुम्हें
कोई रूठे तो तुम भी मनाया करो
.........................

तू है मेरा के तेरे सिवा कौन है

मैं हूँ तेरा तो मुझसे जुदा कौन है



क्यूँ परेशां हूँ तेरे होते हुए
तू जो खुश है तो मुझसे ख़फ़ा कौन है



फूल कागज़ के हैं देखने के लिए
घर सजा लीजिये सूँघता कौन है
.......................
कौन पोंछेगा आँख के आंसू

अपनी बारिश में आप भीगा कर



रेशमी तार थे जो जीवन के
रख दिए आज हमने उलझा कर



छाँव का जिक्र ठीक है लेकिन
तू कभी धूप में भी निकला कर
............Anware Islam

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