Friday, May 16, 2014

गाली सी चुभती है औकात की बात


गाली सी चुभती है औकात की बात

दिल दिमाग सब बाद की बात
चलो करते है पेट और खुराक की बात

मेरा ऊंचाइयो से मतलब था
तुम करने लगे जिराफ की बात

कोई रहनुमा कोई फरिश्ता कोई खुदा
ये तो अपने-अपने नकाब की बात

मुल्क में अमन था, चैन था, मोहब्बत थी
फिर उठा दी किसी ने जात की बात

तुम ओहदा कह लो हैसियत कह लो
गाली सी चुभती है औकात की बात

वो बेशक न सुने बूढ़े बाप की अपने
पर टालता नहीं कभी औलाद की बात

घर होगा, बिजली, राशन, पानी होगा
नेताजी, खूब करते हो मजाक की बात

‘प्रदीप’ ये है अन्धो की बस्ती
कोई सुनता नहीं चिराग की बात – प्रदीप तिवारी

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