हम उसूलों पर चले दुनिया में शोहरत हो गई
लेकिन अपने घर के लोगों में बग़ावत हो गई
आँधियों में तेरी लौ से जल गई उँगली मगर
ये तसल्ली है मुझे तेरी हिफ़ाज़त हो गई
पहले उसका आना जाना इक मुसीबत सा लगा
रफ़्ता रफ़्ता उस मुसीबत से मोहब्बत हो गई
जो गवाही से थे वाबस्ता वो सब पकड़े गए
और जो मुल्ज़िम थे उन सब की ज़मानत हो गई
मेरे मेहमाँ भी थे ख़ुश ख़ुश और मैं भी मुत्मईन
उनकी पिकनिक हो गई मेरी इबादत हो गई
आज फिर दिल को जलाया मैंने उनकी याद से
आज फिर उनकी अमानत में खयानत हो गई
मेरी हालत तो नहीं सुधरी मगर इस फेर में
ये हुआ मेरी तरह उसकी भी हालत हो गई
---OM Prakash Nadeem
लेकिन अपने घर के लोगों में बग़ावत हो गई
आँधियों में तेरी लौ से जल गई उँगली मगर
ये तसल्ली है मुझे तेरी हिफ़ाज़त हो गई
पहले उसका आना जाना इक मुसीबत सा लगा
रफ़्ता रफ़्ता उस मुसीबत से मोहब्बत हो गई
जो गवाही से थे वाबस्ता वो सब पकड़े गए
और जो मुल्ज़िम थे उन सब की ज़मानत हो गई
मेरे मेहमाँ भी थे ख़ुश ख़ुश और मैं भी मुत्मईन
उनकी पिकनिक हो गई मेरी इबादत हो गई
आज फिर दिल को जलाया मैंने उनकी याद से
आज फिर उनकी अमानत में खयानत हो गई
मेरी हालत तो नहीं सुधरी मगर इस फेर में
ये हुआ मेरी तरह उसकी भी हालत हो गई
---OM Prakash Nadeem
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